विभूती व स्वराज्यक्रांतीकारक


स्वधर्म का पालन करनेवाला ही स्वराज्य की स्थापना कर सकता है |और स्वराज्य ही स्वधर्म है |

ईश्वरपुजा करते वक्त उन्हे मत भुलो जिन्होंने ईश्वर को बचाया है !

भग्न था सोमेश्वर, धोके मे था रामेश्वर, तब तलवार जिसने उठाई है !
हो रहा था धर्मपरिवर्तन तब धर्मजागृति जिन्होंने की है !
स्वधर्म जब लोगों ने भुला दिया तब माँ भारती की अब्रू जिसने रक्षी है !
उन्हे मत भुलो मेरे हिन्दुस्थानीयों स्वधर्म की स्थापना जिन्होंने की है, 
स्वराज्य की निर्मिती की है !

गौरक्षण , धर्मरक्षण कर ईश्वर वे कहलाए !

संतो, स्त्रीयों को अभय दे पुरुषोत्तम वे कहलाए !
मुगलों, निजामो, आदिलशाही को दहलाकर हिन्दुनृसिंह वे कहलाए !
महाराष्ट्र से ले अटक पर भगवा फहराह हिन्दुपदपादशाह वे कहलाए !
उन्हे मत भुलो मेरे हिन्दुस्थानीयों स्वधर्म की स्थापना जिन्होंने की है, 
स्वराज्य की निर्मिती की है !

एक हाथ मे शस्त्र दुजे मे ग्रंथ ले वे गुरु, स्वामी कहलाए !

एक हाथ मे तलवार पीठ पर शिशु ले वे माँ के रखवाले कहलाए !
पीठ पर कोडे खा, कागज़ पे क्रांती लिख वे स्वातंत्र्यवीर कहलाए !
शब्दों से ब्रह्मज्ञान , स्वराज्यनिर्मिती की प्रेरणा दे वे राष्ट्रगुरु कहलाए !
उन्हे मत भुलो मेरे हिन्दुस्थानीयों स्वधर्म की स्थापना जिन्होंने की है, 
स्वराज्य की निर्मिती की है !

मंदिरों, संतों को अभय दे ब्राह्मणप्रतिपालक वे कहलाए !

हाथ में गीता ले फांसी चढ़ शहिद वे कहलाए !
कोई एक वीर नही कर सकता ऐसा कार्य इसलिए लाखो वीर जने भारतभू ने !
कुछ ईश्वर, कुछ मराठे, कुछ रजपुत, कुछ माँ हिन्द के सपुत कहलाए थे !
उन्हे मत भुलो मेरे हिन्दुस्थानीयों स्वधर्म की स्थापना जिन्होंने की है, 
स्वराज्य की निर्मिती की है !

उनके खूनका कतरा मांग रहा ऋणमोचन तुमसे !

पितरो के पिंड छुडाए पर इन क्रांतीकारियों के कैसे चुकाओगे !
हाथ रख हृदय पे कसम खाओ हिन्दु वीरों !
कलम, तलवार, वाणी से स्वधर्म-स्वराज्य की क्रांतीमशाल जलाते रहेंगे !
उन्हे मत भुलो मेरे हिन्दुस्थानीयों स्वधर्म की स्थापना जिन्होंने की है, 
स्वराज्य की निर्मिती की है !

आशा है इन सभी क्रांतीकारीयों को पहचाने होंगे !





No comments:

Post a Comment